क्या आतंकियों के साथ पकड़े गए पुलिस अधिकारी के तार संसद हमले से जुड़े है?


क्या आतंकियों के साथ पकड़े गए पुलिस अधिकारी के तार संसद हमले से जुड़े है? 


बीते शनिवार को जम्मू कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी को दो आतंकियों के साथ श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर एक गाड़ी में जाते वक्त पकड़ा गया. बताया जा रहा है कि ये लोग दिल्ली जा रहे थे. राष्ट्रपति पदक से सम्मानित दविंदर सिंह आतंक-निरोधी अभियान से जुड़ा पुलिस अधिकारी है, जो इस समय जम्मू कश्मीर पुलिस की एंटी-हाईजैकिंग यूनिट के साथ काम कर रहा है और श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड़े पर तैनात था. शनिवार को सिंह को कुलगाम जिले के वानपोह में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी नवीद बाबू के साथ पकड़ा गया. बाबू पर आरोप है कि वह पिछले साल अक्टूबर और नवंबर में दक्षिण कश्मीर में ट्रक ड्राइवरों और मजदूरों सहित ११ गैर-स्थानीय श्रमिकों की हत्या में शामिल था. जिन दो आतंकियों के साथ सिंह को पकड़ा गया, वे मोस्ट वांटेड थे. आतंकियों के साथ सिंह के पकड़े जाने के साथ वे आरोप फिर से रोशनी में आ गए हैं जो २००१ नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देशभर में नाराजगी का माहौल है। इस बीच यह विवादित कानून १० जनवरी से लागू हो गया। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को नागरिकता कानून की अधिसूचना जारी कर दी, जिसके साथ यह कानून पूरे देश में प्रभावी हो गया। गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक, संसद हमले और जम्मू कश्मीर के एक महत्वपूर्ण मामले में उसकी भूमिका को लेकर लगाए गए थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक संसद हमले के आरोपी अफ़ज़ल गुरु ने २००४ में अपने वकील सुशील कुमार को लिखे (शेष पृष्ट ६ पर) विपक्षी दलों नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों और उसके कारण हो रही हिंसा के मद्देनजर सोमवार को विपक्षी दलों की एक बैठक बलाई गई थी। इस बैठक के जरिए विपक्ष नागरिकता कानून के खिलाफ अपनी एकजुटता को प्रदर्शित करना चाहता था। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती और इसके अलावा आम आदमी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस कानून को लागू करने की तारीख १० जनवरी, २०२० तय की है। अधिसूचना में कहा गया है, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, २०१९ (२०१९ का ४७) की धारा १ की उपधारा (२) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार १० जनवरी २०२० को उक्त (शेष प्रष्ट २ पर)